रूप रंग ही अगर प्रेम का आधार होता, तो जिसे कभी देखा ही नहीं उससे कैसे प्यार होता।
प्यार की बातें हम से ना किया करो जनाब, हम मासुम लोग हैं, खामखां बहक जाएंगे
हिचकियां रूक ही नहीं_रही हैं आज, पता नहीं हम किसके दिल में अटक_गए हैं
तुझसे नाराज होकर तुझसे ही बात करने का मन, ये दिल का सिलसिला भी कभी ना समझ पाये हम
लाज़मी है तुम्हारा खुद पर गुरूर करना, हम जिसे चाहे वो मामूली हो भी नहीं सकता..
कोई शख्स तो यूँ मिले, के वो मिले तो सुकून मिले…
अपनी कलम से दिल से दिल तक की बात करते हो, सीधे सीधे कह क्यों नहीं देते हम से प्यार करते हो
मै तो फना हो गया उसकी एक झलक देखकर ना जाने हर रोज़ आईने पर क्या गुजरती होगी।