तेरे इश्क का सुरूर था जो खुदको बर्बाद किया, वरना दुनिया मेरी भी दीवानी थी।
नजरें झुकी थी और चेहरे पे क्या नूर था, उसकी सादगी में भी कितना गुरुर था!
रहा नहीं जाता आपके दीदार के बिना, ज़िन्दगी अधूरी है मेरी आपके प्यार क बिना
नाराजगी है तेरी या बस बहाना रूठ जाने का, मैं खुद को भी हार जाऊं तेरे लिए, तू हक तो दे मनाने का
कभी-कभी इरादा, सिर्फ दोस्ती का होता है, और पता ही नहीं चलता, मोहब्बत कब हो जाती है।
काश तुम भी मुझे ऐसे चाहो, जैसे तकलीफ़ में सुकून.
मै जिंदगी गिरवी रख दुंगा,तु सीर्फ कीमत बता मुस्कुराने की.
मेरी ज़िन्दगी में तुम शामिल हो एसे, मंदिर के दरवाजे पर मन्नत के धागे हो जैसे..!